एक अच्छी पाठ्यपुष्तक के गुण

एक अच्छी पाठ्यपुष्तक के गुण 

पाठ्यपुस्तक की विशेषताएँ
·     आंतरिक गुण या आंतरिक विशेषताएँ :- हिंदी भाषा की पाठ्यपुस्तक में निम्नलिखित आंरिक गुण या विशेषताएँ होनी चाहिए :-
                    i.        पाठ्यपुस्तक की भाषा छात्रों के स्तर के अनुकूलन होनी चाहिए | किसी भी स्थिति में पाठ्यपुस्तक की भाषा इतनी विलष्ट होनी चाहिए की छात्र उसे समझ ही ना सके |
                 ii.        भाषा व्याकरण की द्रष्टि से शुध्द होनी चाहिए |
               iii.        भाषा सरल व सुबोध होनी चाहिए |
               iv.        पाठ्यपुस्तक की भाषा ऐसी होकी सरल से कठिन व ज्ञान से अज्ञान के क्रम में छात्रों का शब्द एक सूक्ति-भंडार विकसित हो |
·       शैली :- पाठ्यपुस्तक की लेखन शैली भी पाठ्यपुस्तक को आकर्षक बनाने में सहायक होती हैशैली की प्राप्ति से निम्न बातो को ध्यान देने योग्य है | 
                    i.        पाठ्यपुस्तक की शैली छात्रो के स्तरानुकुल होनी चाहिए |
                 ii.        पाठ्यपुस्तक की शैली में विविधता होनी चाहिए | इसमें पाठ्यपुस्तक में एकरसता पर हो जाती है |
               iii.        शैली में माधुर्य , ओज एवं प्रसाद गुण आवश्यक हो |
               iv.        शैलियों में संतुलन भी रचना चाहिए |
·       व्याख्या एवं सामग्री :- पाठ्यपुस्तक की सामग्री के प्रत्येक पाठ में कुछ नवीन शब्द अवन वाक्वंश प्रयुक्त होती है जिसकी व्याख्या करना आवश्क होता है |
                    i.        प्रत्येक पाठ के अंत में या पुस्तक के अंत में पाठों के क्रमकसार उन पाठो में आए कठिन शब्दों ,सूक्तियो तथा मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करना चाहिए |
                 ii.        शब्दों को व्याख्या के साथ-साथ पाठ में आए नवीन नामों, वस्तुओ , स्थानों एंव तथ्यों आदि को टिप्पणी देकर स्पष्ट करनी चाहिए |
               iii.        पाठ में आए पारिभाषिक  शब्दों को स्पष्ट करना चाहिए |
·       चित्र :- बच्चों चित्र देखने में बहुत रूचि लेते है अंत प्रत्येक पाठ में पाठ्यवस्तु से सम्बन्धित श्वेत-श्याम या रंगीन चित्र का भी समावेश करना चाहिए |
·       अभ्यासार्थ प्रश्न :- प्रत्येक पाठ के अंत में अभ्यास करने के लिए विभिन्न प्रकार के वस्तुपरक , लघु-उत्तर एवं निश्न्धात्मक प्रश्न दिए जाने चाहिए | इससे छात्र पाठ को पढ़ने के उपरांत अपना मुल्यांकन कर सकेंगे पाठ को दोहराने में भी सहायता मिलेगी |
·       विषय सूची :- पाठ्यपुस्तक के आरम्भ में विषय-सूची दी जानी चाहिए , जिसमे पाठ का शीर्षक , लेखन का नाम , तथा पाठ्य संख्या दी हुई है इससे छात्रों को पाठ ढूंढने में सुविधा हो जाती है |
बाह्य गुण या विशेषताएँ
पाठ्यपुस्तक का बाह्य आकर रंगीन रूप एंव सजा हुआ बच्चों को अपनी और आकर्षित करती है | उसकी विषयवस्तु कितनी भी रुचिकर क्यों ना हो , यदि बाह्य रूप आकर्षत नहीं तो बच्चो का मन पुस्तक पढने के लिए प्रव्रत्व नहीं होता है बाह्य आकर्षण ही छात्रो को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रव्रत्व करता है
       i.      मुखपृष्ठ :- पाठ्यपुस्तक का आवरण या मुख्य प्रष्ट आकर्षण एवं रंगीन होना चाहिए | उस पर विषय से सम्बन्धित कोई चित्र बना होना चाहिए | जैसे भाषा की पाठ्यपुस्तक पर बच्चे और पुस्तक या लेखनी का चित्र, कमल का फूल चित्र आदि |आवरण प्रष्ठ मजबूत होना चाहिए | आवरण प्रष्ठ ही पुस्तक को सुरक्षित रखता है | आवरण प्रष्ठ के फटते ही पूरी पुस्तक विक्रत होने लगती है |
    ii.      पाठ्यपुस्तक का शीर्षक आकर्षक होना चाहिए यह छोटा एंव साहित्यक होना चाहिए |
 iii.      पाठ्यपुस्तक का कागज अच्छा व मजबूत होना चाहिए |

Comments

Popular posts from this blog

शिक्षण के शिक्षार्थी केन्द्रित और शिक्षक केन्द्रित दृष्टिकोणों के गुण व अवगुण का वर्णन

भारत में प्राथमिक स्तर पर लड़कियों की शिक्षा के लिए राष्ट्रिय कार्यक्रम की प्रशासनिक संरचना