उच्च माध्यमिक विद्यालयों के सिद्धांत

उच्च माध्यमिक विद्यालयों के दो सिद्धांत 



माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण (यूनिवर्सलाइज़ेशन ऑफ सॆकंडरी एजुकेशन, USE) की चुनौती का सामना करने के लिए माध्यमिक शिक्षा की परिकल्पना में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में मार्गदर्शक तत्व हैं: कहीं से भी पहुंच, सामाजिक न्याय के लिए बराबरी, प्रासंगिकता, विकास, पाठ्यक्रम एवं ढांचागत पहलू। माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण अभियान बराबरी की ओर बढ़ने का मौका देता है। आम स्कूल की परिकल्पना प्रोत्साहित की जाएगी। यदि प्रणाली में ये मूल्य स्थापित किए जाते हैं, तो अनुदान रहित निजी विद्यालयों सहित सभी प्रकार के विद्यालय भी समाज के निचले वर्ग के बच्चों एवं गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों के बच्चों को उचित अवसर देना सुनिश्चित कर माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण (USE) के लिए योगदान देंगे।

मुख्य उद्देश्य
  • यह सुनिश्चित करना कि सभी माध्यमिक विद्यालयों में भौतिक सुविधाएं, कर्मचारी हों तथा स्थानीय सरकार/निकायों एवं शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के मामले में कम से कम सुझाए गए मानकों के अनुसार, एवं अन्य विद्यालयों के मामले में उचित नियामक तंत्र के अनुसार कार्य हों,
  • नियमों के अनुसार सभी युवाओं को माध्यमिक विद्यालय स्तर की शिक्षा सुगम बनाना- नज़दीक स्थित करके (जैसे कि माध्यमिक विद्यालय 5 किलोमीटर के भीतर एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 7-10 किलोमीटर के भीतर) / दक्ष एवं सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था/ आवासीय सुविधाएं, स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार, मुक्त स्कूलिंग सहित। लेकिन पहाड़ी तथा दुर्गम क्षेत्रों में, इन नियमों में कुछ ढील दी जा सकती है। ऐसे क्षेत्रों में आवासीय विद्यालय स्थापित किए जाने को तरजीह दी जा सकती है।
  • यह सुनिश्चित करना कि कोई भी बालक लिंग, सामाजिक-आर्थिक, असमर्थता या अन्य रुकावटों की वज़ह से गुणवत्तापूर्ण माध्यमिक शिक्षा से वंचित न रहे,
  • माध्यमिक शिक्षा का स्तर सुधारना, जिसके परिणामस्वरूप बौद्धिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक सीख बढ़े,
  • यह सुनिश्चित करना कि माध्यमिक शिक्षा ले रहे सभी छात्रों को अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले,
  • उपर्युक्त उद्देश्यों की प्राप्ति, अन्य बातों के साथ-साथ, साझा विद्यालय प्रणाली (कॉमन स्कूल सिस्टम) की दिशा में महती प्रगति को भी दर्शाएगी।

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